COVID-19 के बाद की दुनिया में अंशकालिक नौकरियों की वृद्धि
परिचय
COVID-19 ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, जिससे कई उद्योगों में जन्मी चुनौतियों ने श्रम बाजार को भी बदल दिया है। महामारी के दौरान विश्वभर में लागडाउन और सामाजिक दूरी के कारण अंशकालिक नौकरियों की मांग में वृद्धि हुई है। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे महामारी ने कार्य संस्कृति और श्रम बाजार में अंशकालिक नौकरियों की भूमिका को पुनर्परिभाषित किया है।
अंशकालिक नौकरी क्या होती है?
अंशकालिक नौकरियाँ वे होती हैं जो सामान्यतः पूर्णकालिक नौकरियों की तुलना में कम घंटे की होती हैं। ये नौकरी कर्मचारी को लचीलापन प्रदान करती हैं और अक्सर छात्रों, गृहिणियों, या उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त होती हैं, जो अन्य कारणों से पूर्णकालिक रोजगार नहीं ले सकते।
COVID-19 का प्रभाव
आर्थिक मंदी और बेरोजगारी
COVID-19 के कारण कई व्यवसाय बंद हो गए और सरकारी प्रतिबंधों ने अधिकांश उद्योगों की गतिविधियों को ठप कर दिया। इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी जिससे लोगों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस परिस्थिति में, कई लोग अंशकालिक नौकरियों की ओर रुख करने लगे क्योंकि पूर्णकालिक नौकरी प्राप्त करना कठिन हो गया था।
अंशकालिक नौकरियों की मांग
लचीलापन और नौकरी सुरक्षा
महामारी के बाद, जब बाजार खुला, तो कर्मचारियों ने अंशकालिक नौकरियों में लचीलापन और सुरक्षा को प्राथमिकता दी। ऐसी नौकरियाँ उन्हें अपने समय का प्रबंध
व्यवसायों की बदलती आवश्यकताएँ
सोशल डिस्टेंसिंग और साइबर सुरक्षा की नई आवश्यकताओं के चलते, कई व्यवसायों ने अंशकालिक श्रमिकों को भर्ती किया ताकि वे कामकाजी आवश्यकताओं के साथ समायोजित कर सकें। कई कंपनियों ने यह पाया कि अंशकालिक श्रमिकों को नियुक्त करने से उनकी लागत कम हो सकती है जबकि वे अपनी जरूरतों के अनुसार अधिक लचीलापन प्राप्त कर सकते हैं।
अंशकालिक नौकरियों के क्षेत्रों की तुलना
खुदरा और सेवाएँ
महामारी के बाद खुदरा और सेवाओं के क्षेत्र में अंशकालिक नौकरियों में वृद्धि देखी गई। लोग ऑनलाइन खरीदारी की ओर बढ़ रहे थे, जिससे वितरण सेवाओं में तेजी आई। ऐसे में अनेक अंशकालिक नौकरियाँ सुनिश्चित हुईं, जैसे कि डिलीवरी ब्वॉय या ऑनलाइन कस्टमर सपोर्ट।
स्वास्थ्य सेवा
COVID-19 के दौरान स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी अंशकालिक नौकरियाँ बढ़ी हैं। कई स्वास्थ्यकर्मियों ने फ्रीलांस या अंशकालिक रूप से काम करना शुरू किया। अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को तत्काल सहायकों की आवश्यकता थी, जिससे अंशकालिक विशेषज्ञों की भर्ती करना एक तार्किक विकल्प बन गया।
तकनीकी क्षेत्र
डिजिटल परिवर्तन के कारण अधिकांश व्यवसायों ने तकनीकी सहायता की आवश्यकता महसूस की। डेटा एनालाइज़िस, डिजिटल मार्केटिंग, और आईटी सपोर्ट जैसी अर्जियों में अंशकालिक नौकरियों की मांग बढ़ी है। काम करने के नए तरीके और टूल ने लोगों को घर से काम करने की सुविधा दी है।
अंशकालिक नौकरियों के लाभ और चुनौतियाँ
लाभ
1. लचीलापन: अंशकालिक नौकरियों में समय प्रबंधन की अधिक स्वतंत्रता होती है। यह कर्मचारियों को अपने शौक, अध्ययन या अन्य जिम्मेदारियों के लिए समय दे सकता है।
2. अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान: अंशकालिक नौकरियों से लोग काम करके आय प्राप्त करते हैं, जिससे उपभोक्ता खर्च और आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।
3. नए स्किल्स हासिल करना: अंशकालिक नौकरियों के माध्यम से लोग नए कौशल विकसित कर सकते हैं, जो उनके भविष्य के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।
चुनौतियाँ
1. कम आय: अंशकालिक रोजगार का मतलब अक्सर कम आय होता है, जो कई बार परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं होती।
2. लाभों का अभाव: कई अंशकालिक नौकरियों में स्वास्थ्य बीमा या अन्य लाभ नहीं होते, जो पूर्णकालिक कर्मचारियों को मिलते हैं।
3. स्थायी नौकरी की कमी: अधिकांश अंशकालिक नौकरियों में स्थिरता की कमी होती है, जिससे भविष्य की अनिश्चितता बनी रहती है।
भविष्य की संभावना
अंशकालिक नौकरियों की मांग में वृद्धि की संभावना काफी अधिक है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब लोग लचीले काम के घंटे और दूरस्थ काम की ओर बढ़ रहे हैं।
नई कार्य संस्कृति
भविष्य की कार्य संस्कृति में अंशकालिक नौकरियों की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है। लचीलापन और कार्य-जीवन संतुलन की मांग लगातार बढ़ रही है, जो अंशकालिक नौकरियों को और भी अधिक लोकप्रिय बनाने में सहायक होगी।
प्रौद्योगिकी का प्रभाव
प्रौद्योगिकी ने अंशकालिक रोजगार के अवसरों को नए आयाम दिए हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से लोग अपने कौशल का उपयोग कर सकते हैं और फ्रीलांसिंग के माध्यम से काम कर सकते हैं। ऐसे में, प्रौद्योगिकी अंशकालिक नौकरी बाजार को और विकसित करेगी।
COVID-19 के बाद की दुनिया में अंशकालिक नौकरियों की वृद्धि एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। जहाँ एक ओर, महामारी ने कई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, वहीं दूसरी ओर, इसने नए अवसर भी पैदा किए हैं। अंशकालिक रोजगार अब केवल अस्थाई समाधान नहीं रहा, बल्कि यह एक दीर्घकालिक और स्थायी करियर विकल्प बनता जा रहा है।
यह आवश्यक है कि सरकारें और व्यवसाय इस प्रवृत्ति को समझें और उचित नीतियाँ बनाएं ताकि अंशकालिक श्रमिकों के अधिकार और लाभों का संरक्षण हो सके। इस प्रकार, हम एक स्थायी और संगठित श्रम बाजार की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।